बॉलीवुड में नाम कमाना चाहती हूं -शालिनी पांडे

मुंबई। बॉलीवुड में साउथ इन्डस्ट्री की अभिनेत्रियों का नाम कमाना कोई नई बात नहीं है।
जयाप्रदा ,जयललिता,किर्ति रेड्डी , रकुल प्रीत सिंह, श्रीदेवी,तापसी पन्नू ,काजल अग्रवाल,तमन्ना भाटिया,कृति सेनन जैसी अभिनेत्रियों के बाद तमिल और तेलगु इंडस्ट्री में मशहूर हो चुकी एक्ट्रेस शालिनी पांडे जल्द ही बॉलीवुड में डेब्यू कर रही हैं।अर्जुन रेड्डी एक्ट्रेस शालिनी ने हाल ही में दिए इंटरव्यू में अपने करियर के शुरूआती दिनों के बारे में बात की।शालिनी पांडे नें अपने करियर की शुरुआत हमारे देश‌ के ह्रदय मध्यप्रदेश के जबलपुर कस्बे में एक थिएटर से की थी। अर्जुन रेड्डी की सफलता के बाद शालिनी ने की तेलगु ,तमिल व हिन्दी फिल्मों में काम किया। गौरतलब है कि बॉलीवुड फिल्म कबीर सिंह, दक्षिण भारतीय ब्लकबस्टर फिल्म अर्जुन रेड्डी की ही रिमेक है ,जिसमें कियारा आडवाणी वाला रोल अॉरिजनल फिल्म में शालिनी पांडे ने ही निभाया था। 25 वर्षीय शालिनी कॉमेडी ड्रामा “जयेशभाई जोरदार” में रणवीर सिंह की हीरोइन के रूप में बी-टाउन के लिए तैयार है।फिलहाल वो लॉकडाउन के चलते अपने घर पर है व जल्द से जल्द यशराज फिल्म्स की फिल्म ‘जयेशभाई जोरदार’की शुटिंग शुरू करने का इन्तजार कर रहीं हैं।फ़ुरसत के पलों में हमारी इस प्यारी सी चार्मिंग एक्ट्रेस से मुलाकात हुई जिसमें उन्होंने अर्जुन रेड्डी फिल्म के बारे में अपने कैरियर के बारे में,अपनी अपकमिंग फिल्म के बारे में व अन्य पहलुओं के बारे में बात की –

आपने अर्जुन रेड्डी के साथ अपने कैरियर की शुरूवात की जो बॉक्स अॉफिस पर जबरदस्त हिट साबित हुई थी व‌ फिल्म में आपके काम को काफी सराहा गया था। इसके बाद आप साउथ में कैमियो करती हुई नजर आई। आप एक्जेक्टली रोल चुज करते वक्त करता देखती है ?

मैं एक कैलकुलेटिव पर्सन नहीं हूं अगर किसी रोल‌ के सैलेक्ट करने की बात की जाए।मेरा यही स्वभाव है कि मैं किसी फिल्म को करते वक्त ज्यादा सोचती नहीं हूं। मैं नरेशन को सुनती हूं और जब मुझे स्क्रीप्ट इन्ट्रस्टिंग लगती है तो उसे कर लेती हूं। मैं जानती हूं अॉडियन्स की एक्सपेक्टेशन ज्यादा होती है जिन्हें पूरा करना कठिन होता है। ऑडियन्स डाइ हार्ड व परफोर्मेंस ऑरियेन्टेड रोल पसंद‌ करते हैं। एक आर्टिस्ट के रूप में मैं यही सोचती हूं कि मैं रोल‌ को जितना सिम्पली करूं उतना ही अच्छा है। जब भी मैं अच्छी स्क्रीप्ट पढ़ती हूं तो मैं उसका पार्ट बनना पसंद करती हूं। मैं खुलकर रिस्क लेती हूं तथा यही सोचती हूं‌ कि सेल्फ सेटिस्फेक्शन वह इम्पेक्ट बडा़ ही महत्त्वपूर्ण होता है।
इसके अलावा मैं ऐसी स्क्रिप्ट चुनती हूं जिसमें डायरेक्टर इसको लेकर कन्फर्म होता है कि मैं क्या कर रही हूं क्योंकि एक अच्छा डायरेक्टर सिंपल से सिंपल कहानी को बेहतरीन तरीके से प्रजेंट कर सकता है। ये एक निर्देशक के लिए महत्त्वपूर्ण होता है कि वो एक एक्ट्रेस को कितना समझता है और वह फिमेल लीड के लिए कितना सेंसेटिव होता है।
मेरा ज्यादा फिल्में साइन ना करने का एक कारण ये भी है लेडिज का मिसॉजिनिस्टिक व अॉब्जेक्टिफाई किया जाना। क्योंकि इस माध्यम से एक लेडी की तरह मैं ये फिल‌ करती हूं कि मैं उन कैरेक्टर्स के लिए पूरी तरह से रेस्पोंसिबल हूं जिन्हें मैंने स्क्रीन पर प्ले किया है।

​दक्षिण भारतीय फिल्मों में ज्यादातर हीरोइन या लेडी ओरिएंटेड कम ही करने को मिलते हैं। या तो स्क्रिप्ट में सेंट्रल नहीं होते या फिर आई कैंडी की तरह होते हैं। आपका क्या ओपिनियन है इस बारे में जिस तरह इस इंडस्ट्री में हीरोइन‌ को रिप्रेजेंट किया जाता है ?

इंडस्ट्री में डिस्क्रिमिनेशन हो रहा है और हो चुका है। इस इंडस्ट्री में हीरोइन को पिक्चर परफेक्ट ,स्लीम व लहराते बालों के साथ पसंद किया जाता है। मैंने अर्जुन रेड्डी के डायरेक्टर संदीप जी एक बात पसंद आई कि उनको किसी परफेक्ट वुमन की तलाश नहीं थी क्योंकि हम किसी पर्सन को सिर्फ उसके लुक के साथ पसंद नहीं कर सकते ,हम उसको उसकी पर्सनेलिटी से पसंद करते हैं। हमारी इंडस्ट्री में इस विशेषता की कमी है और ये वुमन को आई कैंडी के रूप में ही जरूरी समझा जाता है। वुमन का सिर्फ चुलबुला होना ही जरूरी नहीं है। कोई दो या तीन रोल ऐसे करने पड़े तो कोई बात नहीं ,मगर हमेशा ऐसा नहीं होना चाहिए। मैं ऐसे रोल करना चाहती हूं जो मिनिंगफुल हो ,और हमारा करैक्टर क्यों है स्क्रिप्ट में, ये पता चलना चाहिए।मैं ये बिल्कुल नहीं जानती कि क्यों हमारी साउथ इंडस्ट्री में ऐसे वुमेन ओरिएंटेड रोल्स एक्सप्लोर नहीं किए जाते ?

​अर्जुन रेड्डी फिल्म की सक्सेस ने आपको किस तरह ट्रीट किया ?

मुझे बहुत अच्छा लगा बल्कि ये कह सकती हूं कि हम सबको अच्छा लगा। हमने ये सब एक्सपेक्ट नहीं किया था कि फिल्म को इतना सक्सेस मिलेगा। मैं ये समझ ही नहीं पाई कि मैं इसको कितना व कैसे हैंडल कर पाउंगी। लोगों ने मुझे प्रीति और शालिनी कहना शुरू कर दिया वो मुझे ये सब बहुत अच्छा लगा। साउथ इंडस्ट्री ने जिस तरह मुझे और मेरे फिल्म में केरेक्टर को एक्सेप्ट किया वो काफी अमेजिंग था। मुझे हजारों मैसेज आने लगे। जब भी मैं फोन देखती मैसेज की झड़ी सी लगी रहती जिनमें मेरे बारे में और प्रीती के बारे में पेराग्राफ लिखे रहते। ये सब देखकर जो महसूस हो रहा था उसे रियली मैं एक्सप्लेन नहीं कर सकती।

​ आपने साउथ इंडियन मूवी ही क्यों कि जबकि आप जबलपुर मध्यप्रदेश से सम्बन्ध रखती हो ?
और अपने स्ट्रगल के बारे में बताइए ?

मैं कुछ भी प्लान नहीं किया कि मुझे साउथ इंडियन मूवीज करनी है या बॉलीवुड मूवीज करनी है।मैं बस इतना जानती थी की मुझे मूवीज में होना चाहिए या मूवीज करनी है। मगर मेरे पापा बहुत स्ट्रिक्ट थे,उस समय वो मुझे फिल्म एक्ट्रेस बनने के लिए एग्री नहीं करते थे क्योंकि उस वक्त मैं अपनी स्टडी इंजीनियरिंग कर रही थी और वो मुझे इंजीनियरिंग पूरी होने के बाद आई टी जॉब्स करने के लिए कह रहे थे।
उसी वक्त मैं थिएटर्स भी कर रही थी और वो भी इसलिए अलाउड था क्योंकि मैं अच्छे ग्रेड्स पा रही थी इसलिए पापा यही कहा करते थे कि थिएटर कंटीन्यू रखने में‌ कोई प्राब्लम नहीं है मगर फिल्म मत करना मगर मुझे पता था मुझे फिल्म्स करनी ही है और मैं मूम्बई चली गई। मैंने वहां से पापा को ई – मेल किया कि मैं वापस घर नहीं आउंगी। पापा ने भी मेल किया कि हम तुमसे बात नहीं करेंगे। तो मैंने भी उन्हें यही मेल‌ किया कि मुझे पैसे भेजने की जरूरत नहीं है। मेरे पास बहुत ही कम पैसे थे अकाउंट में और मुझे यही चिंता थी कि इतने कम पैसों में मैं मूम्बई में सरवाइव कैसे कर पाउंगी ?क्योंकि मुझे किराया देना पड़ता था। मेरे पापा मेरे खिलाफ थे,मगर धिरे धिरे वो मान गए हलांकि वो अर्जुन रेड्डी की शुटिंग और उसके पूरे होने तक उन्होंने मुझसे बात तक नहीं की। मैंने सब से कट ऑफ कर लिया था मूम्बई में रह रही थी मगर मेरे दोस्तों ने मेरा पूरा सहयोग किया इस ज़ुनून को पूरा करने मे।

​आपको एक्ट्रेस बनने का जुनून कबसे था ?

मुझे खुद नहीं पता मुझे ये जूनुन कब से था? मैं मिरर के सामने बैठकर इन्टरव्यू दिया करती थी। मैंने काफी बार कॉफी विद करन प्ले किया। इसलिए ये चीजें मेरे लिए नई नहीं थी। मैं ये इमेजिन करनी कि लाइट्स मेरे उपर है ,कैमराज मेरे उपर है। मैं एक सिनेमैटिक किड थी। मेरे पैरेंट्स सोचते कि मैं पागल हो चुकी हूं। मैं ये सब टेन्टरम इसलिए कर रही हूं क्योंकि मै अच्छे कपडे़ पहनना चाहती हूं। मगर मैं हमेशा सपने देखा करती थी और सपने देखना गलत नहीं होता। मगर मेरी फैमिली कंजर्वेटिव थी और मेरे पापा गवर्नमेंट ऑफिसर थे इसलिए सब आसान नहीं था मेरे लिए। मेरे पापा भी मुझे आई टी जॉब करवाना पसंद करते थे। वो हमेशा यही सोचते थे कि फिल्म इंडस्ट्री खराब है , यहां पर लड़कियों को अच्छे से ट्रीट नहीं किया जाता मगर वास्तव में ऐसा कुछ नहीं था। बुरी चीजें हर इंडस्ट्री के साथ होती है चाहे वो कारपोरेट इंडस्ट्री हो चाहे फिल्म इंडस्ट्री।यह इस चीज पर डिपेंड करता है कि आप इसे कैसे हैंडल करते हैं। बस यही मेरी जर्नी थी।

​क्या पापा इसी बात को लेकर घबरा रहे थे कि ये फिल्म इंडस्ट्री अच्छी नहीं है ?

नहीं ये बात नहीं थी। मेरे पापा मुझसे बहुत प्यार करते हैं व‌ इसलिए वो काफी पजेसिव भी थे मेरे लिए। इसलिए वो मुझ पर कंट्रोल रखना चाहते थी और मेरा सपना फिल्म में जाने का था और एक्चुली मुझे जाना ही था और मैं बिल्कुल भी कॉम्प्रोमाइज नहीं करना चाहती थी। और मैं खुश हूं कि मैंने उनको गलत साबित कर दिया।

​फिर आपने मूम्बई में सरवाइव कैसे किया ?और फिर फिल्मों में चांस कैसे मिला ?

ज्यादा सरवाइव नहीं करना पड़ा। मैने इंजीनियरिंग करने के दो तीन महिने बाद अर्जुन रेड्डी साइन‌ की। इसके लिए मेरे पापा मेरे साथ आए थे हैदराबाद। कम्पलीट प्रोसेस में तीन दिन लगे। एक दिन मैंने फोटो शूट करवाया। दुसरे दिन मेरे सामने स्क्रिप्ट नरेट की गई और तीसरे दिन मैंने फिल्म साइन‌ की। मेरे डैड पूरी तरह कन्वेंश थे क्योंकि उनको स्टोरी के बारे में पता नहीं था। उन्होंने डायरेक्टर को पहली ही कह दिया था कि मेरी बेटी किसींग सीन व इंटिमेट सीन नहीं करेंगी तब डायरेक्टर नें‌ कहा ठीक है। यहां तक मुझे खुद भी नहीं पता था कि फिल्म में किसिंग सीन्स हैं। अगर पता होता तो मैं फिल्म करती ही नहीं। मगर फिल्म में किसिंग सीन्स इमोशन के साथ आते हैं। किसिंग सीन्स कोई बडी़ बात नहीं होते अगर उन्हें सही तरीके से शूट किया जाए। अगर मैं किसी से प्यार करती हूं तो उसे हग करूंगी उसे टच करूंगी एक तरह का फिजिकल अट्रेक्शन होता है। मगर ये सब डैड को बताना आसान नहीं था। मूवी के प्रीमियर में पापा मेरे पास बैठे थे वो मुझे काफी अजीब लग रहा था। मगर जब तक फिल्म खत्म हुई सब सही हो गया। अपनी बेटी को बिग स्क्रीन पर देखकर पापा खुश थे।

​आपको अर्जुन रेड्डी के लिए कास्ट कैसे किया गया ?

मेरे कॉर्डिनेटर ने मेरी पिक्चर्स साउथ के कोर्डिनेटर को भेजी। और उन्होंने मेरी पिक्चर्स संदीप ने मेरी प्रोफाइल फोटो देखकर मुझे कॉल किया कि मैं आपसे मिलना चाहता हूं। मिलने पर उन्होंने मुझे अपने कैरेक्टर के बारे में‌ बताया। मुझे यह तरह का कैरेक्टर करने की चाह थी और मैं हर तरह के कैरेक्टर को ऑब्जर्व‌ करती थी। प्रीती का कैरेक्टर मुझे पसंद‌ था और मुझे ऐसा लगा मैं आसानी से कर लुंगी।बस इसी कारण मैं इस फिल्म के लिए चुन ली गई।

​आपको ये डर नहीं लगा कि संदीप की ये पहली फिल्म है और विजय भी इतने पॉपुलर नहीं थे उस वक्त तक?
मैंने ये संदीप से कहा भी था और मुझमें भी बहुत साहस था। मैं दो अननोन लोगों‌ के साथ रह रही थी वो भी एक अननोन शहर में। इसलिए कह सकते हैं कि मेरी गट फिलींग बहुत अच्छी थी।मैंने विजय को फिल्म की कहानी सुनते ही कह दिया था कि फिल्म सुपरहिट जाएगी। मुझमें किसी को जज करने का अनोखा टैलेंट है। संदीप जो भी कहते ऑन फेश कहते है । मुझे पता था कि मैं मोस्ट ब्यूटीफुल नहीं हूं ,मगर मुझे खुद‌ पर भरोसा था।

पर्दे के सामने रोमांस करना अॉकवर्ड नहीं लगा जबकि आपके चारों और लोग रहते थे ?

मैं जब एक्टिंग करती हूं तब मैं ये भूल जाती हूं‌ कि मेरे चारों और कैमराज है।
अगर मैं कैमरा को लेकर कंसियस हो जाऊं तो मैं एक्टिंग नहीं कर सकती। इसलिए मैं अपने कैरेक्टर को ध्यान में रखकर ही एक्टिंग करती हूं और साथ में क्र्यू का भी अच्छा सपोर्ट रहता है।

आप यशराज फिल्म्स की फिल्म कर रही हैं। कैसा लग रहा है ?

मुझे इस बात की दोहरी खुशी है, क्योंकि यहां मेरी शुरुआत कोई और नहीं बल्कि, हिंदी सिनेमा के सबसे एनर्जेटिक अभिनेता रणवीर सिंह के साथ हो रही है।
रणवीर के साथ काम करके मेरे अभिनय और ज्यादा सुधार आएगा। रणवीर सिंह पटकथा के इतर अपनी तरफ अपने अभिनय में बारीकियां जोड़ने मे। कैपेबल हैं। जब वह सेट पर अभिनय करते देखते हैं तो काफी वंडरफुल लगता है। यह मेरे लिए बहुत ही बड़ा मौका है कि मैं रणवीर सिंह जैसे पॉवर हाउस अभिनेता के साथ अपनी शुरुआत हिंदी सिनेमा में कर रही हूं। वह मुझे और मेरे अभिनय को निखारने और सेट पर काम के दौरान कन्विनिएंट माहौल बनाने में मेरी बहुत मदद करते हैं। वह अपने हिस्से का काम पूरी मेहनत और लगन से करते हैं, इसलिए मेरा भी फर्ज बनता है कि में भी अपना काम पूरी ईमानदारी से करूं।’ रणवीर के साथ काम करके मेेेरे अभिनय और ज्यादा सुधार आएगा। वह कहती हैं, ‘रणवीर सिंह पटकथा के इतर अपनी तरफ अपने अभिनय में बारीकियां जोड़ने में सक्षम हैं। जब वह सेट पर अभिनय करते हैं तो उनको काम करते हुए देखना आपको आश्चर्यचकित कर देगा। मुझे यकीन है कि मैं उनके साथ काम करके और भी अच्छी अभिनेत्री बन जाउंगी।पटकथा के बारे में रणवीर फिल्म की कहानी अपने शक्तिशाली संदेश से लोगों को भावनाओं में बहने पर मजबूर कर देगी। हालांकि इसका फिल्मांकन कॉमेडी के साथ किया गया है।

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